किसी भी देश के विकास में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है । इसलिए उच्चतर शिक्षा में अधिकता (पहुँच में बढ़ोतरी) और गुणवत्ता (प्रस्तुत अकादमिक कार्यक्रमों की प्रासंगिकता एवं उत्कृष्टता) दोनों की मूल्य की महत्ता है । एन.ए.ए.सी. की स्थापना संस्थानों को स्पष्ट-स्थिर मानदण्ड़ों के आधार पर अंतर्निरीक्षण तथा संस्थान की सहभागिता की प्रक्रिया के माध्यम से उसे अपने कामकाज के मूल्यांकन में सेवाएँ प्रदान करने के लिए हुआ है ।.
प्रत्यायन
प्रत्यायन के लाभ
- सूचित पुनरीक्षण प्रक्रिया के माध्यम द्वारा संस्थान अपनी दुर्बलता, तीव्रता एवं अवसरों को जानना ।
- योजना तथा संसाधन आवंटन के आंतरिक क्षेत्रों की पहचान।
- परिसर में सहशासन।
- प्रदर्शन निधी प्रदान करने के लिए निधीकरण एजन्सियाँ वस्तुनिष्ठ आँकड़े देखती हैं।
- नई और आधुनिक पद्धति के अध्यापन कलाओं का संस्थान द्वारा पहल करना ।
- दिशा-निर्देश की नवीन चेतना और संस्थान को पहचान प्राप्ति।
- शैक्षणिक गुणवत्ता को प्रस्तुत करने के संबंध में समाज, विश्वसनीय जानकारी देखता है।
- नियोक्ता अपने संबंधित कर्मचारी को दी गई शिक्षा के गुणवत्ता संबंधी विश्वसनीय जानकारी देखते हैं ।
- संस्थानों का आंतर एवं अंतर समन्वयन ।

योग्यता के मानदंड
ऐसे उच्चतर शिक्षा संस्थानों जिनके या तो पहले न्यूनतम दो स्नातक वर्ग अथवा स्थापना के छः वर्ष हो चुके हों, वे एन.ए.ए.सी. की मूल्यांकन एवं प्रत्यायन (ए एंड ए) की प्रक्रिया का आवेदन करने के लिए योग्य हैं और इसके अतिरिक्त प्रावधान के अनुसार जो नियम एवं शर्तें लागू होती हैं, उन्हें पूर्ण करना होगा, जो निम्नवत हैं -
1. विश्वविद्यालय (केन्द्रीय/राज्य/निजी/मानित) और राष्ट्रीय महत्व के संस्थान
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय अथवा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान / मानित विश्वविद्यालय और उनका कैम्पस होना चाहिए । एन.ए.ए.सी. द्वारा अमान्यता प्राप्त कैम्पस को मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के लिए विचाराधीन नहीं होता है।
- इन संस्थानों के कैम्पस-परिसरों में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों में छात्र-छात्राएँ तथा प्रस्तुत शोध-कार्यक्रमों में पूर्णकालिक नियमित शोधार्थी प्रवेश लिए हुए हों ।
- देश के भीतर स्थापित कोई भी ऐसे संस्थान जो विश्वविद्यायल / राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के समान माने जाते हैं, तो वे मूल्यांकन एवं प्रत्यायन प्रक्रिया के लिए योग्य हैं।
- एन.ए.ए.सी. समुद्रगामी कैम्पस के प्रत्यायन का उत्तरदायित्व नहीं लेता है।
4. एन.ए.ए.सी. के अधिकार-क्षेत्र में आनेवाले अन्य उच्चतर शिक्षा संस्थान
2. स्वायत्त महाविद्यालय/संघटक महाविद्यालय/संबद्धित महाविद्यालय (उन विश्वविद्यालयों से संबद्धित जिन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने संबद्धकर्ता विश्वविद्यालय के रुप में मान्यता प्रदान की हो)
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संबद्धता के उद्देश्य से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय । निजी और मानित से संबद्ध संगठक महाविद्यालय को विश्वविद्यालय की संगठक इकाई माना जाएगा, इसलिए स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के लिए माना नहीं जाएगा । ऐसे संबद्ध महाविद्यालयों को चाहिए कि वे विश्वविद्यालय के साथ आए।
- ऐसे महाविद्यालय/संस्थान जो विश्वविद्यालयों से संबंध नहीं हैं, किन्तु वैधानिक व्यावसायिक नियामक परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम चला रहे हैं और भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा मान्यता प्राप्त हैं अथवा अन्य किसी सरकारी एजेन्सी से संबंधित विश्वविद्यालय के स्नाीतक पाठ्यक्रम समकक्ष हो।
3. वे प्रत्यायित उच्च शिक्षा संस्थान जो पुनर्मूल्यांकन अथवा प्रत्यायन के उत्तरवर्ती आवर्तन (आवर्तन 2, आवर्तन 3, आवर्तन 4) के लिए आवेदन कर रहे हैं।
- ऐसे संस्थान जो अपनी प्रत्यायित स्थिति को बेहतर करना चाहते हैं, वे पिछले प्रत्यायन के कम-से-कम एक वर्ष बाद किन्तु तीन वर्षों से पहले पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकते हैं । साथ ही इस पर भी निर्भर है कि इस सन्दर्भ में समय-समय पर एन.ए.ए.सी. द्वारा नियामक विशिष्ट शर्तों को पूरा करना होगा ।
- प्रत्यायन के उत्तरवर्ती चक्रों (आवर्तन 2, आवर्तन 3, आवर्तन 4) का चुनाव करनेवाले संस्थान पिछले त्रैमासिक से आरंभ करते हुए ‘गुणवत्ता आंकलन के लिए संस्थागत जानकारी’ ( आई.आई.क्यू.ए.) जमा कर सकते हैं । साथ ही इस पर भी निर्भर है कि इस सन्दर्भ में समय-समय पर एन.ए.ए.सी द्वारा नियामक विशिष्ट शर्तों को पूरा करना होगा ।
- एन.ए.ए.सी. के प्रत्यायन में उच्चतर शिक्षा संस्थानों की दूरस्थ शिक्षण यूनिटों एवं अपतटीय कैम्पसों को शामिल नहीं किया गया है।
- एन.ए.ए.सी. द्वारा मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के लिए आवेदन करने के इच्छुक सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों को अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण (ए.आई.एस.एच.ई.) पोर्टल पर जानकारी अपलोड़ करना अनिवार्य है । ए.आई.एस.एच.ई. कोड (सन्दर्भ संख्या) पंजीकरण के लिए आवश्यकताओं में से एक है ।
मूल्यांकन की इकाइयाँ
संस्था का प्रत्यायन
- विश्वविद्यालय - विश्वविद्यालय केन्द्रीय नियंत्रण संरचना के साथ सभी स्नातक तथा स्नातकोत्तर विभाग।
- महाविद्यालय - अध्यापन के अपने सभी विभागों के साथ कोई भी संबद्ध, संघटक अथवा स्वायत्त महाविद्यालय।
विभाग का प्रत्यायन
- विश्वविद्यालय का कोई भी विभाग /संकाय /केन्द्र
वर्तमान में एन.ए.ए.सी. केवल संस्थागत प्रत्यायन उपक्रम कर रहा है । प्रत्यायन कार्यक्रम पर कार्य करने के लिए विशेषज्ञों के समूह गठित किए गए हैं ।
प्रक्रिया
मापदण्ड एवं अधिभार
तीन प्रकार के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए मापदण्डों के अनुसार अधिभार हैं -
पाठ्यक्रम के पहलू | 150 (वि) | 150 (स्वायत्त) | 100 (संबद्ध UG) | 100 (संबद्ध PG) |
अध्ययन-अध्यापन तथा मूल्यांकन | 200 (वि) | 300 (स्वायत्त) | 350 (संबद्ध UG) | 350 (संबद्ध PG) |
शोध, नवोन्मेष तथा विस्तार | 250 (U) | 150 (स्वायत्त) | 110 (संबद्ध UG) | 120 (संबद्ध PG) |
मूलभूत सुविधाएँ एवम् अध्ययन के संसाधन | 100 (वि) | 100 (स्वायत्त) | 100 (संबद्ध UG) | 100 (संबद्ध PG) |
छात्र सहयोग तथा विकास | 100 (वि) | 100 (स्वायत्त) | 140 (संबद्ध UG) | 130 (संबद्ध PG) |
संचालन, नेतृत्व एवं प्रबंधन | 100 (वि) | 100 (स्वायत्त) | 100 (संबद्ध UG) | 100 (संबद्ध PG) |
संस्थानिक मूल्य और सर्वश्रेष्ठ परम्पराएँ | 100 (वि) | 100 (स्वायत्त) | 100 (संबद्ध UG) | 100 (संबद्ध PG) |
मुख्य संकेतक
प्रत्येक मापदण्ड के साथ कुछ मुख्य संकेतकों को चिन्हित किया गया है । वे मुख्य संकेतक (के.आई.) जो उच्चतर शिक्षा संस्थान से सार-प्रतिक्रिया प्राप्त कर दशांश में निरुपित होते है।
श्रेणीकरण
- अक्षर श्रेणियों को अंक श्रेणियों में परिवर्तित किया जाता है (कुल अंक संचयी औसत ग्रेड पॉइंट (सीजीपीए) में) ।
- गुणात्मक प्रमाणों को ग्रेड प्वॉइंट में परिवर्तित किया जाता है
- अंकों को सामान्य करने का व्यापक विस्तार
- चरम पूर्वाग्रहों (यदि कोई हो तो) कम किया जा सकता है।
- दो अक्षर श्रेणियों के बीच एक प्वॉइंट का अन्तर, दो समीपवर्ती अक्षर श्रेणियों के बीच 50 या 100 प्वॉइंटों का अन्तर नियत किया गया है, जिससे प्रक्रिया में सराहनीय सामंजस्य स्थापित होता है ।
- रूपान्तरों तथा मानकों के विचलन की कमी के कारण सापेक्ष मूल्यांकन अधिक सटीक होगा ।
- समकक्ष परिक्षण टीम का मतभेद काफी कम हो गया है ।
- किसी भी स्तर पर समायोजन के लिए त्रासद अप्रिय स्थिति में समकक्ष परिक्षण टीम का निर्णय अधिक सटीक होगा
शिकायत निवारण
एन.ए.ए.सी. मूल्यांकन एवं प्रत्यायन की प्रक्रिया को प्रत्यायित संस्था तथा एन.ए.ए.सी. की साझेदारी के व्यवहार के रूप में देखता है । प्रक्रिया का प्रत्येक स्तर पारदर्शकता से युक्त है । संस्थान प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों पर, जैसे विशेषज्ञों से अधिकार सम्बन्धी टकराव को दूर करने, भेंट कार्यक्रम की योजना, विशेषज्ञ परिक्षण टीम के कैम्पस परिसर छोड़ने से पहले विशेषज्ञ दल की रिपोर्ट साझा करना आदि के सम्बन्ध में, परामर्श लेते हैं । इस सहभागिता के दृष्टिकोण के बावजूद कुछ ऐसे संस्थान हो सकते हैं, जिनकी शिकायतों को संबोधित किया जा सकता है । इसलिए, ऐसी संस्थान जो प्रक्रिया अथवा उसके परिणामों अथवा उससे सम्बन्धित किसी भी मामले से असंतुष्ट हुए हो, उनके लिए समीक्षा यंत्रणा उपलब्ध कराने के लिए एन.ए.ए.सी. ने शिकायत निवारण दिशा-निर्देश विकसित किए हैं।
मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के परिणामों की घोषण के साथ ही, प्रत्यायन स्थिति से असंतुष्ट संस्थान प्रस्तुत कर सकते हैं -
- एन.ए.ए.सी. से प्रत्यायन स्थिति को दर्शानेवाले पत्र की प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर मानदण्ड के अनुसार अंक प्रदान करने के अनुरोध के साथ पुनर्विचार के इरादे का पत्र।
- एन.ए.ए.सी. से प्रत्यायन स्थिति को दर्शानेवाले पत्र की प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर एन.ए.ए.सी. द्वारा निर्धारित प्रारूप में पुनर्विचार आवेदन (शिकायत निवारण दिशा-निर्देशों में सूचित) नैक कार्यालय में पहुँचना चाहिए । अपील के लिए आवेदन अ-प्रतिदेय 1,00,000 रुपयों और सेवा कर (18% वस्तु एवं सेवा कर) के साथ ही प्रस्तुत किया जाना चाहिए ।
जब तक एन.ए.ए.सी. की अपील समिति अथवा कार्यकारी परिषद (ईसी) द्वारा अपील का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक इस मामले में किसी भी प्रकार के सम्पर्क/पत्राचार (फोन कॉल सहित) का उत्तर नहीं दिया जाएगा । इस उद्देश्य के लिए गठित समिति अपील पर विचार करेगी और कार्यकारी समिति को अपनी सिफारिशें सौंपेगी । कार्यकारी समिति का निर्णय संस्थान के लिए बंधनकारक होगा।
विस्तारित अपील समिति की व्यापकता
4 सितंबर 2010 को हुई 53 वीं बैठक में कार्यकारी समिति (ईसी) ने इस बात को दोहराया है कि अपील समिति केवल संस्थाओं से अपीलों पर विचार-विमर्श करने के लिए ही नहीं है, अपितु ऐसे मामलों में जहाँ यदि मूल्यांकन एवं प्रत्यायन की प्रक्रिया में विचलन, शिकायत जैसी को भूल-चूक होती है, तो कार्यकारी समिति द्वारा ऐसे सन्दर्भित किए गए मामलों के लिए भी है।
पुनर्मूल्यांकन
ऐसे संस्थान जो अपनी प्रत्यायित स्थिति को बेहतर करना चाहते हैं, वे पिछले प्रत्यायन के कम-से-कम एक वर्ष बाद किन्तु तीन वर्षों से पहले पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकते हैं । मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के लिए जिस नियमावली का पालन किया गया था उसी नियमावली का पालन पुनर्मूल्यांकन के लिए भी किया जाएगा । इसके साथ ही संस्थान को पिछले मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के समकक्ष टीम की रिपोर्ट के आधार पर किए गए विशेष सुधारों तथा अन्य विशेष जानकारी उपलब्ध करानी होगी । शुल्क संरचना मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के अनुसार ही होगी ।
प्रत्यायन के आवर्तन
ऐसे संस्थान जो अपनी प्रत्यायित स्थिति को बेहतर करना चाहते हैं, वे पिछले प्रत्यायन के कम-से-कम एक वर्ष बाद किन्तु तीन वर्षों से पहले पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकते हैं । मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के लिए जिस नियमावली का पालन किया गया था उसी नियमावली का पालन पुनर्मूल्यांकन के लिए भी किया जाएगा । इसके साथ ही संस्थान को पिछले मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के समकक्ष टीम की रिपोर्ट के आधार पर किए गए विशेष सुधारों तथा अन्य विशेष जानकारी उपलब्ध करानी होगी । शुल्क संरचना मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के अनुसार ही होगी ।
जब संस्थान पहली बार प्रत्यायन की प्रक्रिया से गुज़रता है, उसका उल्लेख ‘आवर्तन-1’ किया जाता है और अगले पाँच वर्ष की अवधि आवर्तन 2, 3 इत्यादि के रूप में
आवर्तन-1 के लिए प्रत्यायन प्रक्रिया की सहायता लें ।
आवर्तन 2, 3 इत्यादि के लिए निम्न आवश्यक हैं
- आईक्यूएसी क्रियाशील होना चाहिए।
- एक्यूएआर का समय पर वार्षिक प्रस्तुती।
- प्रत्यायन स्थिति की समाप्ति के छः माह पूर्व संस्थानों को आईआईक्यूए प्रस्तुत करना होगा।
- अन्य प्रक्रिया आवर्तन-1 की तरह ही होगी।
मूल्यांकन के परिणाम
- खण्ड 1: संस्थान की सामान्य जानकारी और सन्दर्भ देता है ।
- खण्ड 2 - गुणात्मक संकेतों के अधार पर समकक्ष परीक्षण के आधार पर मापदण्ड के अनुसार विश्लेषण करता है । बिन्दुवार रिपोर्ट नहीं, बल्कि समकक्ष टीम के द्वारा उच्च शिक्षा संस्थान की विशेषताओं एवं कमियों को प्रत्येक मापदण्ड के आधार पर आलोचनात्मक विश्लेषण करनेवाली गुणात्मक तथा वर्णनात्मक मूल्यांकन रिपोर्ट होगी।
- खण्ड 3 - संस्थान की विशेषताओं, कमियों, अवसरों और चुनौतियों को जोड़कर सम्पूर्ण मूल्यांकन प्रस्तुत करता है।
- खण्ड 4: संस्थान की गुणवत्ता में वृद्धि के लिए दी गई अनुसंशाएँ अभिलेखित करता है । (प्रमुख 10 से अधिक नहीं )
यह भाग एन.ए.ए.सी. के क्यूआयएफ (गुणवत्ता सूचक ढाँचा) के मात्रात्मक संकेतों पर आधारित सांख्यिकीय विश्लेषण के माध्यम से उच्चतर शिक्षा संस्थान का तंत्र-जनित गुणात्मक रूपरेखा होगी । मात्रात्मक संकेतकों के संश्लेषण के माध्यम से संस्थान की विशेषताएँ रेखा-चित्रों को रूप में प्रतिम्बिबित हो सकती हैं।
3. संस्थानगत श्रेणी फलक
गुणवत्ता संकेतकों, मात्रात्मक संकेतों और छात्र समाधान सर्वे पर आधारित संस्थानगत श्रेणी फलक मौजूदा गणण विधियों का प्रयोग करते हुए सॉफ्टवेयर द्वारा उत्पन्न किया जाता है।।
संस्थानिक सी जी पी ए की परिवर्तन सीमा | अक्षर श्रेणी | स्थिति |
---|---|---|
3.51 - 4.00 | ए++ | प्रत्यायित |
3.26 - 3.50 | ए+ | प्रत्यायित |
3.01 - 3.25 | ए | प्रत्यायित |
2.76 - 3.00 | बी++ | प्रत्यायित |
2.51 - 2.75 | बी+ | प्रत्यायित |
2.01 - 2.50 | बी | प्रत्यायित |
1.51 - 2.00 | सी | प्रत्यायित |
<= 1.50 | डी | अप्रत्यायित |
जुलाई 2017 से लागू